मार्क ज़ुकरबर्ग की जीवनी एक प्रेरणादायक कहानी है, जिसमें एक युवा कॉलेज छात्र ने एक साधारण विचार को दुनिया की सबसे बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों में से एक में बदल दिया। आइए उनकी जिंदगी की महत्वपूर्ण घटनाओं को विस्तार से जानें।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
मार्क एलियट ज़ुकरबर्ग का जन्म 14 मई 1984 को न्यूयॉर्क के वाइट प्लेन्स में हुआ। उनके पिता, एडवर्ड ज़ुकरबर्ग, पेशे से एक दंत चिकित्सक थे, और उनकी माता, करेन ज़ुकरबर्ग, एक मनोचिकित्सक थीं। मार्क का पालन-पोषण डॉबस फेरी, न्यूयॉर्क में हुआ, और उनके परिवार ने हमेशा शिक्षा और विज्ञान को बहुत महत्व दिया।
मार्क ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा आर्डस्ली हाई स्कूल से प्राप्त की, जहां वे विज्ञान और गणित में बेहद प्रतिभाशाली छात्र थे। बाद में उन्होंने फिलिप्स एक्सेटर अकादमी में दाखिला लिया, जो एक प्रतिष्ठित प्राइवेट स्कूल है। यहां से ही उनकी प्रोग्रामिंग में रुचि बढ़ी और उन्होंने कई प्रोग्रामिंग प्रोजेक्ट्स पर काम किया।
प्रोग्रामिंग और शुरुआती प्रोजेक्ट्स
कम उम्र से ही ज़ुकरबर्ग को कंप्यूटर प्रोग्रामिंग का शौक था। 12 साल की उम्र में उन्होंने “ज़ुकनेट” नामक एक मैसेजिंग प्रोग्राम बनाया, जो उनके पिता के डेंटल ऑफिस और घर के बीच संपर्क के लिए इस्तेमाल होता था। यह प्रोग्राम उनके प्रोग्रामिंग कौशल का प्रारंभिक उदाहरण था।
फिलिप्स एक्सेटर में उन्होंने सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की दिशा में और अधिक रुचि दिखाई। यहीं पर उन्होंने “Synapse” नामक एक म्यूजिक प्लेयर विकसित किया, जो यूजर की म्यूजिक प्रेफरेंस के आधार पर प्लेलिस्ट बनाता था। यह प्रोजेक्ट माइक्रोसॉफ्ट और AOL जैसी बड़ी कंपनियों का ध्यान आकर्षित करने में सफल रहा, लेकिन ज़ुकरबर्ग ने इन कंपनियों के ऑफर ठुकरा दिए और अपनी पढ़ाई जारी रखी।
हार्वर्ड और फेसबुक की शुरुआत
2002 में, ज़ुकरबर्ग ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। यहाँ उन्होंने साइकोलॉजी और कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई शुरू की। हार्वर्ड में रहते हुए, ज़ुकरबर्ग ने एक वेबसाइट बनाई जिसका नाम था फेसमैश। यह वेबसाइट छात्रों की तस्वीरों की तुलना करती थी और यूजर्स से वोट मांगती थी कि कौन अधिक आकर्षक है। हालांकि, यह वेबसाइट विवादित रही और इसे कुछ ही दिनों में बंद कर दिया गया, लेकिन इसने ज़ुकरबर्ग को लोकप्रियता दिलाई।
2004 में, ज़ुकरबर्ग ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर फेसबुक का निर्माण किया। फेसबुक की शुरुआती अवधारणा यह थी कि यह एक सोशल नेटवर्किंग साइट होगी, जहाँ कॉलेज के छात्र आपस में संपर्क कर सकते थे। फेसबुक की सफलता इतनी तेज़ी से बढ़ी कि इसे हार्वर्ड के बाहर अन्य विश्वविद्यालयों में भी लॉन्च किया गया। जल्द ही, यह वेबसाइट पूरे अमेरिका में लोकप्रिय हो गई और फिर दुनिया भर में फैल गई।
फेसबुक का वैश्विक विस्तार
फेसबुक की लोकप्रियता ने ज़ुकरबर्ग और उनकी टीम को अपनी पढ़ाई छोड़कर कंपनी पर फोकस करने के लिए प्रेरित किया। वे पालो आल्टो, कैलिफ़ोर्निया चले गए, जहाँ उन्होंने फेसबुक का पहला ऑफिस खोला। 2005 में, पीटर थिएल ने फेसबुक में पहला बड़ा निवेश किया, जिससे कंपनी को विस्तार करने में मदद मिली।
फेसबुक ने 2006 में “न्यूज़ फीड” और 2007 में “लाइक बटन” जैसे फीचर्स जोड़े, जिसने इसे और भी ज्यादा आकर्षक बना दिया। इसके बाद, फेसबुक ने विज्ञापनदाताओं के लिए एक प्लेटफॉर्म लॉन्च किया, जिससे यह एक व्यवसायिक सफलता बन गई। 2008 में, जब ज़ुकरबर्ग केवल 23 साल के थे, तो वह दुनिया के सबसे युवा अरबपति बन गए।
चुनौतियाँ और विवाद
फेसबुक की सफलता के साथ, ज़ुकरबर्ग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। शुरुआत में, हार्वर्ड के कुछ छात्रों ने उन पर आरोप लगाया कि उन्होंने उनके आइडिया को चुराया है और इसे फेसबुक के रूप में प्रस्तुत किया। यह मामला अदालत में गया, लेकिन इसे बाद में निपटा लिया गया। इसके अलावा, डेटा गोपनीयता और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों ने भी फेसबुक को विवादों में ला दिया। 2018 में, कैम्ब्रिज एनालिटिका विवाद ने फेसबुक की प्रतिष्ठा को धक्का पहुंचाया, लेकिन ज़ुकरबर्ग ने इन सभी विवादों का सामना करते हुए कंपनी को और मजबूत किया।
व्यक्तिगत जीवन
मार्क ज़ुकरबर्ग ने 19 मई 2012 को प्रिसिला चान से शादी की, जो एक चिकित्सक हैं। उनकी दो बेटियाँ हैं। मार्क और प्रिसिला ने 2015 में घोषणा की कि वे अपनी संपत्ति का 99% हिस्सा समाज सेवा में दान करेंगे। इसके लिए उन्होंने चान ज़ुकरबर्ग इनिशिएटिव की स्थापना की, जिसका उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में काम करना है।
मेटा: फेसबुक से आगे
2021 में, ज़ुकरबर्ग ने घोषणा की कि उनकी कंपनी का नाम बदलकर Meta Platforms रखा जा रहा है। यह निर्णय कंपनी के नए लक्ष्य की ओर इशारा करता है, जो “मेटावर्स” के विकास पर केंद्रित है। मेटावर्स एक ऐसी आभासी दुनिया है जहाँ लोग आभासी और संवर्धित वास्तविकता में एक-दूसरे से संपर्क कर सकते हैं।
मार्क ज़ुकरबर्ग की नेतृत्व शैली
मार्क ज़ुकरबर्ग की नेतृत्व शैली को सरल और सीधा माना जाता है। वे एक दूरदर्शी लीडर हैं, जो जोखिम उठाने से नहीं डरते। उन्होंने एक बार कहा था, “सबसे बड़ा जोखिम कोई जोखिम न लेना है”, जो उनकी उद्यमशीलता की भावना को दर्शाता है।
ज़ुकरबर्ग हमेशा नई तकनीकों और नवाचारों में विश्वास रखते हैं और यही कारण है कि फेसबुक (मेटा) ने इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स का अधिग्रहण किया। ये अधिग्रहण कंपनी की भविष्य की योजनाओं को दर्शाते हैं, जहाँ ज़ुकरबर्ग सोशल मीडिया से आगे जाकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और वर्चुअल रियलिटी जैसे क्षेत्रों में अग्रणी बनना चाहते हैं।
निष्कर्ष
मार्क ज़ुकरबर्ग की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणादायक है, जो एक छोटे से विचार को बड़े व्यवसाय में बदलने का सपना देखते हैं। उनकी जीवन यात्रा इस बात का प्रमाण है कि अगर आप में जुनून, दृढ़ता और सही दिशा में मेहनत करने का साहस है, तो आप दुनिया में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
मार्क ज़ुकरबर्ग आज भी दुनिया के सबसे अमीर और प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक हैं, लेकिन उनकी असली सफलता उनके नवाचार और समाज सेवा के प्रयासों में निहित है। उन्होंने हमेशा समाज के कल्याण और तकनीकी प्रगति के लिए काम किया है और उनका योगदान आने वाले समय में भी महत्वपूर्ण रहेगा।
मार्क ज़ुकरबर्ग का एक प्रसिद्ध उद्धरण है:
The biggest risk is not taking any risk. In a world that is changing really quickly, the only strategy that is guaranteed to fail is not taking risks
इसका मतलब है कि तेजी से बदलती दुनिया में जोखिम न लेना सबसे बड़ा जोखिम हो सकता है।