India is known for its vibrant and diverse festivals that reflect its rich cultural heritage. Below is a list of some of the major festivals celebrated across India:
Makar Sankranti
मकर संक्रांति: एक पौराणिक और सांस्कृतिक पर्व
परिचय:
मकर संक्रांति भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश करने का प्रतीक है, जिसे ‘संक्रांति’ कहा जाता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य अपने दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है, जिसका अर्थ है कि अब दिन लंबे और रातें छोटी होनी शुरू हो जाती हैं। इस पर्व का विशेष महत्व है क्योंकि यह मौसम और जीवन के परिवर्तन का संदेश देता है। देश के विभिन्न हिस्सों में इसे अलग-अलग नामों से मनाया जाता है, जैसे कि पंजाब में ‘लोहड़ी’, तमिलनाडु में ‘पोंगल’, असम में ‘भोगाली बिहू’ और गुजरात में ‘उत्तरायण’।
पौराणिक कथा और धार्मिक महत्व:
मकर संक्रांति से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों का संहार करके धरती को उनके आतंक से मुक्त किया था। इसे असुरों पर विजय और प्रकाश की ओर बढ़ने के रूप में देखा जाता है। वहीं, महाभारत में भी मकर संक्रांति का उल्लेख मिलता है। भीष्म पितामह ने उत्तरायण का समय चुना था अपने प्राण त्यागने के लिए, क्योंकि यह समय मृत्यु के लिए शुभ माना जाता है।
धार्मिक दृष्टिकोण से, मकर संक्रांति के दिन स्नान, दान और सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके पापों से मुक्ति पाने की परंपरा है। गंगा, यमुना और नर्मदा जैसी नदियों के किनारे श्रद्धालु स्नान करते हैं और सूर्य को अर्घ्य देते हैं। उत्तरायण के आरंभ को देवताओं का दिन कहा जाता है, जो धरती पर सुख-समृद्धि लाता है।
मकर संक्रांति का वैज्ञानिक पहलू:
मकर संक्रांति सिर्फ एक धार्मिक या सांस्कृतिक पर्व नहीं है, बल्कि इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। इस दिन से पृथ्वी की स्थिति में बदलाव होता है। सूर्य का उत्तरायण होना दिन-रात के अनुपात को बदल देता है। यह ऋतु परिवर्तन का भी प्रतीक है, क्योंकि अब ठंड का असर धीरे-धीरे कम होता है और मौसम में गर्माहट आने लगती है। किसान इस पर्व को नई फसल के स्वागत के रूप में मनाते हैं, क्योंकि यह समय रबी की फसल के कटने का होता है। इस कारण मकर संक्रांति को कृषि पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।
विभिन्न राज्यों में मकर संक्रांति:
भारत में मकर संक्रांति को हर राज्य में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। हर क्षेत्र की अपनी विशेष परंपराएँ और रीति-रिवाज हैं।
- पंजाब (लोहड़ी): पंजाब में मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी मनाई जाती है। यह मुख्यतः फसल कटाई का पर्व है, जो किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। लोग इस दिन आग जलाकर उसमें तिल, गुड़, मूंगफली और रेवड़ी अर्पित करते हैं। इसके साथ भांगड़ा और गिद्दा जैसे पारंपरिक नृत्य किए जाते हैं।
- गुजरात (उत्तरायण): गुजरात में मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से जाना जाता है। इस दिन पतंगबाजी का विशेष महत्व होता है। आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों का नज़ारा बेहद आकर्षक होता है। परिवार और दोस्त एकत्रित होकर छतों पर पतंग उड़ाते हैं और ‘काई पो छे’ की ध्वनि गूंजती है। तिल-गुड़ से बनी मिठाइयाँ विशेष रूप से खाई जाती हैं।
- तमिलनाडु (पोंगल): तमिलनाडु में मकर संक्रांति का नाम ‘पोंगल’ है। यह मुख्यतः एक कृषि पर्व है, जिसमें सूर्य देव की आराधना की जाती है और नई फसल का स्वागत किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से चावल, दूध और गुड़ से बना पकवान ‘पोंगल’ तैयार किया जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला पर्व है, जिसमें पहले दिन भोगी, दूसरे दिन पोंगल, तीसरे दिन मट्टू पोंगल (पशुओं की पूजा), और चौथे दिन कन्नुम पोंगल मनाया जाता है।
- महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ के लड्डू बांटने की परंपरा है। लोग एक-दूसरे को तिल-गुड़ देकर कहते हैं, “तिल गुड़ घ्या, गोड गोड बोला”, जिसका अर्थ होता है, “तिल-गुड़ लो और मीठा-मीठा बोलो”। इस दिन महिलाएँ आपस में हल्दी-कुमकुम का आयोजन करती हैं और परस्पर सौभाग्य की कामना करती हैं।
- असम (भोगाली बिहू): असम में मकर संक्रांति को ‘भोगाली बिहू’ के रूप में मनाया जाता है। यह भी एक कृषि पर्व है, जिसमें फसल कटाई के बाद खुशियाँ मनाई जाती हैं। लोग इस दिन सामूहिक भोज का आयोजन करते हैं और पारंपरिक नृत्य करते हैं। आग जलाकर रातभर जागरण और उत्सव मनाया जाता है।
- उत्तर प्रदेश और बिहार (खिचड़ी संक्रांति): उत्तर प्रदेश और बिहार में मकर संक्रांति को ‘खिचड़ी’ पर्व के रूप में जाना जाता है। इस दिन लोग गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करके दान-पुण्य करते हैं। खिचड़ी, तिलकुट और चूड़ा-दही का विशेष भोग तैयार किया जाता है। यहाँ इस दिन तिल और चावल से बनी खिचड़ी का खास महत्व होता है।
मकर संक्रांति के रिवाज और परंपराएँ:
- स्नान और दान: मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति अपने समस्त पापों से मुक्त हो जाता है। इसके बाद लोग दान-पुण्य करते हैं। तिल, गुड़, कंबल, कपड़े और अन्न का दान मुख्य रूप से किया जाता है।
- तिल और गुड़ का महत्व: तिल और गुड़ का इस पर्व में विशेष स्थान है। यह माना जाता है कि तिल और गुड़ के सेवन से शरीर को गर्मी मिलती है, जो ठंड के मौसम में आवश्यक होती है। इसके साथ ही तिल और गुड़ मिठास और मेलजोल का प्रतीक भी माना जाता है। इसलिए मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ के लड्डू और अन्य मिठाइयाँ बांटने की परंपरा है।
- पतंग उड़ाना: पतंग उड़ाना मकर संक्रांति का एक खास आकर्षण है, विशेषकर गुजरात और राजस्थान में। लोग इस दिन पतंगबाजी का लुत्फ उठाते हैं और छतों पर घंटों तक पतंगें उड़ाई जाती हैं। पतंगबाजी इस पर्व को हर्ष और उल्लास के साथ मनाने का प्रतीक है।
- खिचड़ी भोज: कई क्षेत्रों में इस दिन खिचड़ी बनाने और खाने की परंपरा है। इसे गरीबों को दान भी किया जाता है। खिचड़ी में चावल और दाल का मेल जीवन में समरसता और सामंजस्य का प्रतीक है। यह साधारण होते हुए भी स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन है, जो सर्दियों के मौसम में शरीर को आवश्यक पोषण प्रदान करता है।
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व:
मकर संक्रांति एक ऐसा पर्व है जो समाज के सभी वर्गों को एक साथ लाता है। यह पर्व मेल-मिलाप, प्रेम और सद्भावना का संदेश देता है। लोग एक-दूसरे को तिल-गुड़ बांटकर कहते हैं कि मिठास के साथ जीवन जिएं और कड़वाहट को दूर करें।
इसके साथ ही, मकर संक्रांति का कृषि और किसानों के लिए विशेष महत्व है। यह समय फसल कटाई का होता है और किसान अपनी मेहनत का फल पाकर उत्सव मनाते हैं। इसलिए इसे कृषि पर्व भी कहा जाता है।
निष्कर्ष:
मकर संक्रांति एक पावन और हर्षोल्लास से भरा त्योहार है, जो हमारे जीवन में उत्साह, प्रेम, और समृद्धि का संचार करता है। इस पर्व की धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विशेषताएँ इसे न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरे विश्व में एक महत्वपूर्ण त्योहार बनाती हैं। यह पर्व हमें मौसम के बदलाव और प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने की शिक्षा देता है, साथ ही हमें यह याद दिलाता है कि परिवर्तन जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है।